केरवास पंचायत की अगर भोगोलिक स्थिति के बारे में देखा जाये तो यहाँ पर पहाड़ी क्षेत्र होने से यंहा पर खेती कम होती हे ,यंहा की मिटटी भी उपजाऊ नहीं हे ,कंकर वाली मिटटी हे ,यंहा पर ज्यादातर नालो से पिलाई होती ही !बरसात में यंहा चार माह तक बारिश होती हे ,इसका कारण हे की पहाड़िया होने से हलकी -हलकी बारिश हमेशा होती रहती हे जिससे यंहा पर बारिश की फसले अछि पकती हे ,बारिश में यंहा पर मक्का ,ज्वार,तुअर ,सोयाबिज ,आदि फसले उगाई जाती हे ,यंहा पर मिटटी में कंकर होने से ककड़ी (फल )बहुत होती हे ,जो बहुत स्वादिष्ट होती हे लोग पास के शहर में भी बेचने जाते हे !
यंहा पर पहाडियों को मगरा बोला जाता हे ,मगरो की कटिंग करके यंहा पर रोड निकाले गए हे इन मगरो के बिच में से जो नाले बहते हे उनको खाल बोला जाता हे उन्ही खालो से खेतो की पिलाई की जाती हे !यंहा पर सर्दी में मुख्य रूप से ये फसले होती हे –गेंहू ,चना ,मशुर ,सरसों ,प्याज लहसुन आदि !अधिकतर लोगो ने जंहा अपना खेत हे वंही अपना मकान बना रखा हे इसी कारण यंहा घर बहुत दुरी पर बने हुए हे
भोगोलिक स्थिति
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